श्रद्धांजलि – प्रखर जी
प्रखर जी , सोचा ही न था कि इतनी शीघ्र संगीत के ये प्रखर स्वर यूँ सदा के लिए विलीन हो जायेंगे। आप ने बहुत दिया, आपने इतना सिखाया । माँ सरस्वती से प्रार्थना है कि सदा प्रयत्नशील रहूँ कि आपसे मिली विरासत मेरे सभी नन्हें शिष्यों में मुखरित हो, आपका स्वर उन नन्हे स्वरों में गूँजे और हर स्वर अपने “प्रखर उत्कर्ष” को प्राप्त हो।